राजनीति की भेन्ट चढ़ा वरिष्ठ लिपिक के कार्यग्रहण का मामला
श्रीविजयनगर. श्रीविजयनगर नगरपालिका में वरिष्ठ लिपिक के कार्यग्रहण का प्रकरण राजनीति के भंवर में उलझ कर रह गया है। सत्ता के मद में चूर राजनेता सरकार के आदेशों को किस प्रकार से कूड़े के ढ़ेर में डाल देते है यह प्रकरण उसका एक ज्वलंत उदाहरण है।
प्रकरण :- श्रीविजयनगर नगरपालिका के वरिष्ठ लिपिक अमृतलाल शर्मा का स्थानांतरण स्वायत्त शासन विभाग द्वारा 10.10.2016 को नोखा नगरपालिका में किया गया था। 19.10.2016 को विभाग द्वारा एक बार इस सूची पर रोक लगा दी गई। बाद में 24.11.2016 को विभाग द्वारा सूची को पुन: जारी कर दिया गया। नगरपालिका श्रीविजयनगर द्वारा 13.12.2016 को वरिष्ठ लिपिक अमृतलाल शर्मा को नगरपालिका नोखा के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया किंतु उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण वे नगरपालिका नोखा में कार्यग्रहण नहीं कर पाए। अमृतलाल शर्मा के स्थानांतरण के बाद नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती दिव्यांशी एवं एक दर्जन से अधिक पार्षदों ने स्वायत्त शासन मंत्री, प्रमुख शासन सचिव डीएलबी, निदेशक डीएलबी, क्षेत्रीय सांसद निहालचंद मेघवाल आदि को उनका स्थानांतरण रद्द करने के लिए पत्र प्रेषित भी किए। जिनके आधार पर दिनांक 13.01.2017 को उनका पूर्व में हुआ स्थानांतरण रद्द कर उन्हे श्रीविजयनगर नगरपालिका में ही कार्यग्रहण के निर्देश स्वायत्त शासन विभाग द्वारा दिए गए।
इन आदेशों के साथ ही नगरपालिका में राजनीतिक सरगर्मियां परवान पर आ गई। पहले तो नगरपालिका प्रशासन द्वारा स्थानांतरण निरस्त आदेशों को लेने से ही मनाही कर दी गई, रजिस्टर्ड डाक द्वारा आदेश पंहुचने पर भी दो दिन बाद प्राप्ति दिखाई गई, काफी हील-हुज्जत के बाद ईओं सीमा चौधरी ने राज्य सरकार के आदेशों को चैयरमैन के समक्ष रखा तो पालिकाध्यक्ष श्रीमती दिव्यांशी, जिन्होने स्वयं वरिष्ठ लिपिक अमृतलाल शर्मा का स्थानांतरण रद्द करने का पत्र लिखा था, ने उनकी कार्यग्रहण पत्रावली पर कार्मिक का कार्य असंतोषजनक है अत: कार्मिक अपनी उपस्थिति निदेशालय स्वायत्त शासन विभाग में देवें ऐसा लिख दिया।
अमृतलाल शर्मा ने कार्यग्रहण के लिए दिनांक 16 जनवरी से आज 27 जनवरी तक प्रतिदिन कार्यालय समय में कार्यालय में अपनी उपस्थिति देते हुए उपस्थिति रजिस्टर में उपस्थिति अंकित करवाने की मांग की, साथ ही जिला कलेक्टर, उप निदेशक डीएलबी बीकानेर, निदेशक डीएलबी बीकानेर, प्रमुख शासन सचिव स्वायत्त शासन विभाग जयपुर, स्वायत्त शासन मंत्री राजस्थान सरकार को भी पत्र प्रेषित कर न्याय दिलाने की मांग की है, दूसरी ओर राजस्थान ब्राह्मण महासभा की तहसील इकाई अध्यक्ष इन्द्रमोहन ओझा के नेतृत्व में बाह्मण समाज के प्रतिनिधिमण्डल ने भी उनको कार्यग्रहण करवाने के लिए नगरपालिका अध्यक्ष एवं अधिशाषी अधिकारी से मुलाकात की जिसमें कोई हल नहीं निकला।
क्या है नियम:-
राज. नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 330(4) (ग) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि --धारा 330(4) - नगरपालिका में निम्नलिखित विधिपूर्ण नहीं होगा
(ग) किसी अधिकारी या कर्मचारी को डयूटी ग्रहण कराने से मना कर देना या अनुमति नहीं देना, जब ऐसा कर्मचारी राज्य सरकार द्वारा स्थानांतरित या प्रतिनियुक्त किया गया हो।
जानकारों के अनुसार, स्वायत्त शासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि नगरपालिका प्रशासन से सम्बंधित प्रकरणों के निस्तारण हेतु अधिशाषी अधिकारी ही अधिकृत है क्योंकि अधिशाषी अधिकारी ही राज्य सरकार एवं नगरपालिका का प्रतिनिधि है किंतु अधिशाषी अधिकारी द्वारा राजनैतिक दबाब में जानबूझकर सरकार के निदेर्शों की अवहेलना की जा रही है।
चंद दिनों में ही कार्य कुशलता असंतोषजनक!
नगरपालिका श्रीविजयनगर के ही रिकार्ड के अनुसार, वरिष्ठ लिपिक अमृतलाल शर्मा को गत 16 सालों में कोई भी नोटिस तक जारी नहीं किया गया और ना ही किसी प्रकरण में निलम्बित किया गया है, उनके विरूद्ध कोई जांच या गबन प्रकरण विचाराधीन नहीं है ऐसे में प्रश्र उठता है कि नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा सम्बधित कार्मिक की निजी पत्रावली का अध्ययन किए बगैर अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर विपरित टिप्पणी क्यों अंकित की गई और अधिशाषी अधिकारी श्रीमती सीमा चौधरी द्वारा अपने कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतते हुए पालिका अध्यक्ष को सही राय क्यों नहीं दी गई?
बहरहाल राज्य सरकार के निर्देशों पर कोई कार्यवाही ना होने से जहां एक ओर नगरपालिका कर्मचारियों में रोष पनप रहा है वही दूसरी ओर ब्राह्मण समाज भी आंदोलन की तैयारियां कर रहा है।
बहुत घटिया किस्म की राजनीती हो रही है।
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